आज जो हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था है या करियर के चयन हेतु मापदंड का पैमाना है वो अंग्रेजी भाषा को ही महत्व दे रही है।
हर ओर अंग्रेजी भाषा को सीखने, पढ़ने और बोलने की होड़ लगी हुई है। प्राइवेट या सीबीएसई affilited schools भी अंग्रेजी भाषा को ही ज्यादा प्रमुखता देती है । यह कहीं से भी गलत nhi hai। अंग्रेजी सीखना, पढ़ना और बोलना तो अच्छी बात है लेकिन क्या हिंदी को कम आंकना सही है?
आज कई बार बच्चों को ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पर जाता है जहां उन्हें हिंदी में बोले जाने पर कुछ समझ नहीं आता। जब उन्हें हिंदी में लिखने को बोला जाता है तो वो नहीं लिख पाते या गलत लिखते हैं।
जबकि भारत में सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा हिंदी है। देश के 77% लोग हिंदी बोलते और समझते हैं। भारतीय संविधान ने 14 सितंबर 1949 में हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया है। इसलिए तो हर साल हम 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाते हैं।
विश्व में भी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में हिंदी का चौथा स्थान है।
फिर ऐसा क्यों है?
क्या ये बच्चे हिंदी में कमज़ोर हैं
आइए जानते हैं उनकी इस समस्या का निवारण कैसे किया जाए।
निवारण हेतु कुछ महत्वपूर्ण बिंदु:
1. वर्णमाला का ज्ञान कराएं।
2. शुद्ध शुद्ध लिखना सिखाएं
3. श्रुतिलेख लिखाएं।
हिंदी भाषा के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी:
हिंदी के अधिकतम शब्द संस्कृत,अरबी,और फारसी भाषा से लिए गए हैं। हिन्दी भाषा को देवनागरी लिपि में लिखा जाता है. देवनागरी में 11 स्वर और 33 व्यंजन होते हैं और इसे बाएं से दाएं ओर लिखा जाता है।
हिंदी भाषा भारत आधिकारिक भाषा कब बनी:-
- 26 जनवरी, 1965 को हिंदी भारत की आधिकारिक भाषा बन गई
- अंग्रेजी और 21 अन्य भाषाओं को भारत के संविधान द्वारा आधिकारिक भाषाओं के रूप में भी मान्यता प्राप्त है।
- संविधान के अनुच्छेद 343 (1) में यह प्रावधान है कि देवनागरी लिपि में हिंदी संघ की राजभाषा होगी।
- अनुच्छेद 343 (2) भी संविधान के प्रारंभ होने की तिथि से 15 वर्षों (अर्थात, 25 जनवरी 1965 तक) के लिए संघ के आधिकारिक कार्यों में अंग्रेजी के उपयोग को जारी रखने के लिए प्रदान किया गया।
- अनुच्छेद 343 (3) ने 25 जनवरी, 1965 के बाद भी आधिकारिक उद्देश्यों के लिए अंग्रेजी के निरंतर उपयोग के लिए संसद द्वारा कानून प्रदान करने का अधिकार दिया।